Wednesday, 10 January 2018

Misty Magic


I do not know which day it is now
Hypnotized? I wonder - In a séance, somewhere unknown;
Blurred out lines from hangovers to coffee,
Another vagabond - lost to love, in a nameless sleepy town.

I replace the room with the window
With crowded malls and empty roads with broken dreams;
In the hope that this town will heal me,
I dig out buried stories and search for vanishing realms..

I travel in your town without  maps
For I know the tin roof where the raindrops fall;
Sometimes I stumble, lost in the blue shade of your pavements,
But I find the address after all…

I wonder if life is all about you and me,
About winter street lights and rum-laced desserts;
I wonder if this is all a story
About the house with trees and beautiful hearts…

Is dreaming, after all a form of planning?
A sliver of hope, hazy and misty, which I cannot kill…
Like O Henry’s single leaf which had outlasted its season
And remained till the end, trembling still…




Thursday, 4 January 2018

नूर मियां / रमाशंकर यादव 'विद्रोही'



आज तो चाहे कोई विक्टोरिया छाप काजल लगाये
या साध्वी ऋतंभरा छाप अंजन
लेकिन असली गाय के घी का सुरमा
तो नूर मियां ही बनाते थे
कम से कम मेरी दादी का तो यही मानना था

नूर मियां जब भी आते
मेरी दादी सुरमा जरूर खरीदती
एक सींक सुरमा आँखों मे डालो
आँखें बादल की तरह भर्रा जाएँ
गंगा जमुना कि तरह लहरा जाएँ
सागर हो जाएँ बुढिया कि आँखें
जिनमे कि हम बच्चे झांके
तो पूरा का पूरा दिखें

बड़ी दुआएं देती थी मेरी दादी नूर मियां को
और उनके सुरमे को
कहती थी कि
नूर मियां के सुरमे कि बदौलत ही तो
बुढौती में बितौनी बनी घूम रही हूँ
सुई मे डोरा दाल लेती हूँ
और मेरा जी कहे कि कहूँ
कि री बुढिया
तू तो है सुकन्या
और तेरा नूर मियां है च्यवन ऋषि
नूर मियां का सुरमा
तेरी आँखों का च्यवनप्राश है
तेरी आँखें , आँखें नहीं दीदा हैं
नूर मियां का सुरमा सिन्नी है मलीदा है

और वही नूर मियां पाकिस्तान चले गए
क्यूं चले गए पाकिस्तान नूर मियां
कहते हैं कि नूर मियां का कोई था नहीं
तब , तब क्या हम कोई नहीं होते थे नूर मियां के ?
नूर मियां क्यूं चले गए पाकिस्तान ?
बिना हमको बताये
बिना हमारी दादी को बताये
नूर मियां क्यूं चले गए पाकिस्तान?

अब वो आँखें रहीं और वो सुरमे
मेरी दादी जिस घाट से आयी थी
उसी घाट गई
नदी पार से ब्याह कर आई थी मेरी दादी
और नदी पार ही चली गई
जब मैं उनकी राखी को नदी में फेंक रहा था
तो लगा कि ये नदी, नदी नहीं मेरी दादी कि आँखें हैं
और ये राखी, राखी नहीं
नूर मियां का सुरमा है
जो मेरी दादी कि आँखों मे पड़ रहा है
इस तरह मैंने अंतिम बार
अपनी दादी की आँखों में
नूर मियां का सुरमा लगाया.